लेखनी प्रतियोगिता -08-Jun-2022 दुखी सुखन्वर
एक बार आसमान छूने की बात करी थी मैने रास्ते में
उस दिन ज़मी रास्ते भर रोई थी मुझे घर पहुंचाते पहुंचाते
कोई फूल नहीं खिलता अब मेरे आंगन में
आखिर कौन मुर्जाना चाहेगा मेरी उदासी देखते देखते
मुझसे पूछा किसी ने कि कैसा लग रहा है आकर शहर में
अगर अच्छा बता देता तो एक उम्र लग जाती अपने गांव को मनाते मनाते
अब तो लोग ठीक से वफादारी तक नहीं निभाते दुश्मनी में
और एक हम थे जो कभी थके नहीं दोस्तो को शराब पिलाते पिलाते
अपनी जीत का पक्का यकीन था उसको चुनावी मैदान में
जरूर उसकी नजर मजहब पर पड़ी होगी सियासत बांटते बांटते
खुदा कोई बेटी न दे उन परिवारों में
जिनके मर्द थकते नहीं है पराई औरतों का जिस्म देखते देखते
मत पूछ उनसे कि क्या क्या शौक थे उन्हे जवानी में
वो बेचारे बूढ़े हो गए तुझ को जवान करते करते
ये कलम हमे कोई काम न आई नई मुहब्बत में
बिक चुका है इसका इमान उसी पुराने शख्स पर गज़ले लिखते लिखते
बैठना वो भी चाहते है अमीरों की महफ़िल में
जिनका बचपन गुजरा अमीरों का गरीबों पर जुल्म देखते देखते
मै तब्दीली लाना चाहता हूं लोगो की सोच में
जरूर मेरी ये बाकी बची जिंदगी गुजरने वाली है पछताते पछताते
और उम्र भर के लिए अंजान बनकर रहना चाहता था इस दुनिया में
मगर मैं करता रहा अपने ही हाथो से खुद को मशहूर करने का गुनाह यूंही लिखते लिखते।
Seema Priyadarshini sahay
10-Jun-2022 08:06 AM
बेहतरीन रचना
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Saurabh Patel
10-Jun-2022 04:48 PM
जी बहुत शुक्रिया आपका
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Punam verma
10-Jun-2022 12:42 AM
Nice
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Saurabh Patel
10-Jun-2022 04:49 PM
Thank you
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Abhinav ji
09-Jun-2022 08:43 AM
Nice👍
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Saurabh Patel
10-Jun-2022 04:50 PM
Thank you
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